लेखक का परिचय
1941 में पूर्वी टर्की के एरूजुरम में जन्में एम. फतहुल्लाह गोलन एक इस्लामिक विद्वान और विचारक तथा एक फलवान लेखक और कवि हैं। वह बहुत से जाने माने मुस्लिम बौधिक और आध्यात्मिक गुरुओं के द्वारा प्रशिक्षित थे। गोलन ने आधुनिक, सामाजिक और शारीरिक विज्ञान के सिद्धांतो और मतों का अध्ययन किया था। अपने सीखने व स्वकेन्द्रित अध्ययन के आधार पर वे जल्दी ही अपने समकक्ष साथियों से आगे निकल गए। 1959 में बहुत अच्छा परीक्षाफल प्राप्त करने के बाद उन्हें एडिर्न में राज्य के प्रवचनकर्ता का अधिकार प्रदान किया गया और 1966 में टर्की के तीसरे सबसे बड़े राज्य इजमीर में प्रोन्नत किया गया। यह भी सुनने में आया कि गोलन ने अपने विचारों को पुष्ट किया और अपने श्रोताओं के आधार पर जोर दिया। युवा पीढ़ी को विवेकी आध्यात्म और सहृदय कार्यों के साथ बौद्धिक ज्ञानोदय को संतुलित करने के लिए प्रेरित करना उनका विशेष उद्देश्य था।
गोलन ने अपने आपको आंतरिक शहरों में ज्ञान देने तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने अनतोलिया के विभिन्न राज्यों का दौरा किया और केवल मस्जिदों में ही नहीं बल्कि शहर के बैठकों और कार्नर कॅाफी हाउसों में व्याख्यान दिए। इससे उन्हें प्रतिनिधि वर्गों तक पहुंचने और शैक्षिक समुदायों, विशेष रूप से छात्र निकायों का ध्यान आकर्षित करने में मदद मिली। उन्होंने अपने भाषणों को न केवल धार्मिक विषयों तक सीमित रखा बल्कि शिक्षा, विज्ञान, डार्विनवाद, अर्थशास्त्र और सामाजिक न्याय जैसे विषयों पर भी बात की। विभिन्न प्रकार के विषयों पर दिए गये उनके भाषणों की गहराई और स्वरूप ने शैक्षिक समुदाय को मंत्रमुग्ध करने के साथ ही उनका ध्यान और आदर प्राप्त किया।
समस्त युवा पीढ़ी को प्रेरित करने के साथ ही वे औपचारिक शिक्षण कर्तव्यों से 1981 में सेवानिवृत्त हुए। 1960 से प्रारंभ हुए उनके प्रयासों ने विशेष रूप से शैक्षणिक सुधारों के कारण, तुर्की में उन्हें और आदर योग्य बना दिया। 1988 से लेकर 1991 तक उन्होंने ने केवल तुर्की में बल्कि पश्चिमी यूरोप में स्वैच्छिक सेवा देने वाले उपदेशक के रूप में उपदेशों की एक श्रंखला प्रसिद्ध मस्जिदों में दी। उनके संदेश अधिकतर प्रसिद्ध सम्मेलनों के रूप में होते थे।
मुख्य विचार
अपने भाषणों और लेखकों में गोलन एक ऐसी 21वीं शताब्दी की ओर दूष्टि डालते हैं जिसमें हम आध्यात्मिक गतिशीलता उत्पन्न होते हुए देखेंगे जो लम्बे समय से शिथिल पड़े नैतिक मूल्यों, सहनशीलता, समझ और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को पुनर्जीवित करेगा जो अंतरसांस्कृतिक वार्ता और समान मूल्यों के द्वारा एक ही समग्र सभ्यता का निर्माण करेगा। शिक्षा के क्षेत्र में जनसमुदाय के कल्याण हेतु कार्य करने वाले सहायतार्थ संस्थानों की तुर्की और तुर्की के बाहर स्थापना की। उन्होंने जनमाध्यम, विशेष रूप से दूरदर्शन, के द्वारा लोगों को उनकी चिंता के विषयों में अवगत कराया।
गोलन का ये मानना है कि सभी लोगों के लिए न्याय का मार्ग यथोचित और पर्याप्त सार्वभौमिक शिक्षा के प्रावधान पर निर्भर करता है। ऐसा करके ही लोगों में समझ और सहनशीलता पैदा किया जा सकता है, ताकि लोग दूसरों के अधिकारों का सम्मान कर सकें। इसके लिए उन्होंने समाज के उच्च वर्गीय समुदाय तथा छोटे और बड़े उद्योगपतियों को अच्छी शिक्षा को बढ़ावा देने में सहायता करने के लिए प्रोत्साहित किया। और इन लोगों से अनुदान लेकर तुर्की और अन्य देशों में बहुत सारे स्कूलों की स्थापना की।
गोलन ने कहा है कि आधुनिक संसार में अपने विचार मनवाना केवल प्रोत्साहन के द्वारा ही संभव है। वे आगे कहते हैं कि कुछ लोग जो अध्यात्मिक और धार्मिक मूल्यों को व्यक्त करने के लिए चयन की स्वतंत्रता चाहते हैं, वे बौद्धिक रूप से कंगाल हो चुके हैं। गोलन का यह तर्क है कि बहुत सारी कमियों के बाद भी लोकतंत्र ही एक मात्र राजनीतिक तंत्र है जो बिना किसी सहायता के एक देश को चला सकता है। और लोगों को लोकतांत्रिक संस्थानों को और पुष्ट करने के क्षेत्र में कार्य करना चाहिए। जिससे कि एक ऐसे समाज का निर्माण किया जा सके, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति के अधिकार और आजादी का सम्मान और रक्षा होती हो और जहाँ सभी लोगों के लिए समान मौके एक सपना न हो।
अंतर्मत और अंतरसांस्कृतिक क्रियाकलाप
सेवानिवृत्ति के बाद से उन्होंने विभिन्न विचार, संस्कृति, धर्म और देश के लोगों के बीच वार्ताएं आयोजित करने पर अपना ध्यान केन्द्रित किया। सन् 1999 में 1 दिसंबर से 8 दिसंबर तक उनका पत्र “अंतरमत संवाद की आवश्यकता” केपटाउन में विश्व के धर्मों की संसद के समक्ष प्रस्तुत किए गए थे। उनका मानना है कि “वार्ता अति आवश्यक है” और राजनितिक सीमाओं से परे सभी देशों में उनके अनुभव से अधिक समानता है।
गोलन का मानना है कि अपन समझ को बढ़ाने के क्षेत्र में एक ईमानदारी पूर्ण वार्ता अति आवश्यक है। ऐसा करने के लिए उन्होंने पत्रकारों और लेखकों की संस्था की (1994) स्थापना करने मं मदद की, जिसने समाज के सभी वर्गों के बीच में वार्ता और सहनशीलता का प्रचार किया जो समाज के सभी वर्गों के द्वारा पसंद किया गया। इस क्षेत्र में कार्य करने के लिए गोलन न केवल तुर्की बल्कि विश्व के अलग-अलग चर्चित लोगों से भी मिले वार्ता को प्रारंभ करने के क्षेत्र में गोलन ने पोप जान पाल (द्वितीय) स्वर्गीय जान कोनर, न्यूयार्क के आर्क विशप, लियान लेवी एंटीफिमेशन लीग के पूर्व अध्यक्ष जैसे विश्व के धर्मो के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। तुर्की में बेटिकन के राजदूत, टर्किश आर्थाडाक्स चर्च के पादरी, टर्किश अमेरिकन समुदाय के पादरी, टर्किश यहूदी समुदाय के मुख्य रब्बी और अन्य बहुत से धार्मिक प्रतिनिधियों ने तुर्की में गोलन से निरंतर मुलाकात की और उदाहरण प्रस्तुत किया कि जैसे एक ईमानदारी पूर्ण वार्ता विभिन्न धर्मों के बीच स्थापित की जा सकती है।
1998 में वेटिकन के पोप जान पाल (द्वितीय) के साथ मुलाकात के दौरान गोलन ने मध्य पूर्व में हो रहे संघर्ष को रोकने के लिए दृढ़ कदम उठाने का प्रस्ताव पेश किया जिसमें उन्होंने उस स्थान पर साथ मिलकर काम करने की बात की जहाँ सभी तीन धर्मो की उत्पत्ति हुई है। अपने प्रस्ताव में उन्होंने इस सच्चाई पर बल दिया है कि विज्ञान और धर्म वास्तव में एक ही सत्य के दो पहलू हैं। मानवता ने समय समय पर विज्ञान के नाम पर धर्म को और धर्म के नाम पर विज्ञान को, ये कहते हुए कि दोनों एक दूसरे के विरोधी हैं, अस्वीकार किया। समस्त ज्ञान ईश्वर से है तो दोनो कैसे एक दूसरे के विरोधी हो सकते है? इसलिए अंतरधार्मिक वार्ता के लिए हमारा संयुक्त प्रयास लोगों के बीच आपसी समझ और सहिष्णुता को बढ़ा सकता है।
गोलन ने अमेरिका पर 11 सितंबर की आतंकवादी घटना का विरोध करते हुए एक प्रेस घोषणा जारी की कि ये घटना विश्व शान्ति के लिए एक जोरदार झटका है और धर्म के अनुयायियों के विश्वास को तोड़ा है.... “इस्लाम के नाम पर आतंक का सहारा नहीं लिया जा सकता। एक आतंकवादी कभी एक मुसलमान नहीं हो सकता और एक मुसलमान कभी एक आतंकवादी नहीं हो सकता। एक मुसलमान सदा शान्ति, समृद्धि तथा जन कल्याण का प्रतिनिधि मात्र हो सकता है।”
विश्व शान्ति के लिए गोलन के प्रयास, सम्मेलनों और विषय विशेष पर आधारित गोष्ठियों में सुनाई देते रहे हैं। आस्टिन में टेक्साल विश्वविद्यालय में सम्मेलन “द पीसफुल हिरोज सिम्पोसिम” (अप्रैल 11 से 13, 2003) में 5000 वर्ष से अधिक के मानव इतिहास में शान्तिदूतों की सूची प्रस्तुत की गई। इस सूची में गोलन का नाम तत्कालीन शान्तिनायक के रूप में लिया गया, जिसमें ईसा मसीह, बुद्ध, मोहनदास गांधी मार्टिन लूथर किंग, मार्टिन लूथर किंग जूनियर और मदर टेरेसा का भी नाम था।
गोलन ने बहुत से पत्रों और पत्रिकाओं में अपना योगदान दिया वे बहुत से पत्रिकाओं के संम्पादकीय भी लिखते हैं। वे द फाउंटेन, येनी उमित, सिजिन्ति और यागमर के लिए मुख लेख भी लिखते हैं। तुर्की के मुख्य प्रसिद्ध और आध्यात्मिक पत्रिकाओं में भी उनके लेख छपते हैं। उन्होंने 40 से अधिक किताबें, सैकड़ों लेख लिखे हैं और हजारों आडिया तथा वीडियो कैसेट्स भी रिकार्ड किए हैं। उन्होंने सामाजिक और धार्मिक विषयों पर बहुत से भाषण दिए हैं उनकी कुछ किताबें जो तुर्की में सबसे ज्यादा बिकी, उनका अंग्रेजी अनुवाद भी उपलब्ध है। वे किताबें हैं- द मैसेंजर आफ गाड, मोहम्मद पैगम्बर के जीवन का विश्लेषण, धर्म के बारे में प्रश्नोत्तर, (ज्ञान के मोती) पल्र्स आफ विजडम, प्रोफेट मोहम्मद ऐज कमाण्डर, द एसेन्सियल्स आफ इस्लामिक फेथ, टूवर्डस द लास्ट पैराडाइज, की कान्सेप्ट्स इन द प्रेक्टिस आफ सूफिज्म। कई किताबों का अन्य भाषाओं जैस जर्मन, रसियन, अल्बेनियन, जापानी, इण्डोनेशियन और स्पेनिश में अनुवाद हुआ है।
गोलन द्वारा प्रेरित शैक्षिक ट्रस्टों ने तुर्की और विदेशों में असंख्य स्वयंसेवी संस्थाओं की स्थापना की है जो बहुत से छात्रवृत्ति कार्यक्रम चलाती है।
एक बहुचर्चित व्यक्ति होने के बावजूद गोलन हमेशा राजनीति से दूर रहे। गोलन के प्रसंशको में प्रसिद्ध पत्रकार शिक्षाविद, दूरदर्शन से जुड़े लोग राजनेता तथा अन्य अर्किस और विदेशी राजनेता शामिल हैं। वे लोग गोलन में एक सच्चा प्रवर्तक और अद्वितीय समाज सुधारक को देखते हैं, जो अपने प्रवचनों में कही गई बातों को अपने जीवन में भी उतारता हैं वे उन्हें शान्ति के कार्यकर्ता, एक प्रतिभा संपन्न धार्मिक विद्वान, सलाहकार, लेखक, कवि, महान विचारक और एक अध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में देखते है। जिसने अपना जीवन सामाजिक बुराईयों और आध्यात्मिक जरूरतों का हल निकालने में समर्पित कर दिया है। शिक्षा के क्षेत्र में चलाए गए उनके अभियान न समाज को एक नया रूप देने में मदद की है और पूरी मानवता को दिल, दिमाग और आत्मा की शिक्षा प्रदान की है जिससे पूरी मानव जाति लाभान्वित हो सके।
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